सामाजिक बुलबुले (Social Bubble)

सामाजिक बुलबुले (Social Bubble)


 महत्व, भारत के लिए प्रासंगिकता तथा चुनौतियां।
संक्रमण मामलों की संख्या में लगातार वृद्धि के बावजूद कई देशों ने प्रतिबंधों धीरे-धीरे को उठाना शुरू कर दिया है।
कोविद -19 वक्र को समतल बनाए रखने हेतु विशेषज्ञों द्वारा सुझायी गयी ‘सामाजिक दूरी (Social Distancing) रणनीतियों’ के प्रभावी तरीकों में सामाजिक बुलबुले का विचार भी सम्मिलित है।
सामाजिक बुलबुला’ क्या होता हैं?
सामजिक बुलबुले का विचार न्यूजीलैंड के ‘पारिवार बुलबुला’ (Houshold Bubbles) मॉडल पर आधारित है।  इसके अंतर्गत एक विशेष सामाजिक समूह को महामारी के दौरान एक दूसरे से मिलने की अनुमति होती है।
इसमें किसी व्यक्ति के परिवार को अथवा जिन लोगों के साथ वह रहता है, उसे ‘बुलबुला’ कहा जाता है। इस मॉडल में लोगों को देखभाल करने वालों अथवा बच्चों को सम्मिलित करने हेतु अपने बुलबुले को थोड़ा विस्तारित करने की अनुमति दी जा सकती है।
किसी एक ‘बुलबुले’ के लोगों के लिए ही घर में रहना आवश्यक नहीं होता है, परन्तु उनका स्थानीय होना अनिवार्य है।
न्यूजीलैंड ने लॉकडाउन के दौरान इस मॉडल को अपनाया तथा तथा संक्रमण की दर के कम होने पर बुलबुलों के विस्तार की अनुमति दी है तथा प्रतिबंधों में भी शिथिलता प्रदान की है।
इन बुलबुलों के लाभ
यदि बुलबुले के किसी सदस्य में संक्रमण के लक्षण दिखते है, तो संक्रमण के प्रसार को रोकने हेतु पूरा ‘बुलबुला’ स्वयं को पृथक (Quarantine) कर लेता है।
इन बुलबुलो में, पृथक किये लोगों को आपस में सामाजिक संपर्क करने की अनुमति होती है, जिससे वर्तमान सामाजिक प्रतिबंधों के कारण पड़ने वाले सबसे हानिकारक प्रभावों को कम किया का सकता है तथा  संक्रमण श्रंखला के प्रसरण पर भी अंकुश लगता है।
प्रभाविकता
अध्ययनों से पता चला है कि सामाजिक बुलबुले की अवधारणा न्यूजीलैंड में प्रभावी साबित हुई है। इसमें पृथक किये गए, अतिसंवेदनशील लोगों को आवश्यक देखभाल तथा सहायता की सुविधा प्रदान की गयी।
इस तरह की पालिसी, अन्य देशों के लिए भी सामजिक दूरी नियमों के अनुपालन को प्रोत्साहन देने तथा आवश्यक देखभाल एवं सहायता प्रदान करने हेतु प्रभावी नीति हो सकती है।
कार्यस्थलों पर सामाजिक बुलबुलों की प्रासंगिकता
‘सामाजिक बुलबुले’ की अवधारण को नियोक्ताओं द्वारा ‘विभागीय’ अथवा ‘कार्य-इकाई’ बुलबुलों को बनाने के लिए भी लागू किया जा सकता है। उदाहरणार्थ, अस्पतालों और आवश्यक सेवाओं के कार्मिकों के लिए, समान कार्मिकों की शिफ्ट का गठन करके संक्रमण के जोखिम को कम किया जा सकता है।

Source-INDIAN EXPRESS 

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