सिक्किम-तिब्बत समझौता, 1890 (Sikkim -Tibet Agreement,1890)
सिक्किम-तिब्बत समझौता, 1890
भारत तथा चीन के मध्य सीमा विवाद, संबंधित समझौते तथा आगे की राह।
संदर्भ: वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के एक क्षेत्र में पिछले महीने के दौरान सिक्किम के ‘नाकु ला’ (Naku La) में भारतीय तथा चीनी सैनिकों के मध्य हुई झड़पों तथा जारी गतिरोध ने 1890 में हुए ऐतिहासिक सिक्किम-तिब्बत समझौते को केंद्र में ला दिया है।
विशेषज्ञों का कहना है, इस समझौते के अनुसार, नाकू ला भारत का हिस्सा है। इसके अलावा, 1975 में सिक्किम के भारत में विलय से पहले, चीन ने भी आधिकारिक रूप से इस सीमांकन को स्वीकार किया गया था।
सिक्किम-तिब्बत समझौता, 1890 क्या है?
इस समझौते को ब्रिटेन तथा चीनी साम्राजय द्वारा औपचारिक रूप दिया गया था।
वर्ष 1890 में हुए कलकत्ता सम्मलेन में इस संधि पर हस्ताक्षर किये गए थे। इस संधि के आठ अनुच्छेदों में से, अनुच्छेद 1 अत्याधिक महत्वपूर्ण है।
अनुच्छेद (1) के अनुसार, यह सहमति हुई थी कि सिक्किम तथा तिब्बत की सीमा, तीस्ता तथा उसकी सहायक नदियों द्वारा सिक्किम में होने वाले जल प्रवाह तथा तिब्बत के मोंछु तथा अन्य उत्तरी नदियों में होने वाले जल प्रवाह को अलग करने वाली पर्वत-श्रेणियां होगी।
यह सीमा रेखा, भूटान सीमा पर स्थित माउंट गिपमोची (Gipmochi) से शुरू होकर उपर्युक्त जल-विभाजन का अनुसरण करते हए नेपाल सीमा तक विस्तृत है।
तथापि, तिब्बत 1890 की संधि की वैधता को मान्यता देने से इनकार करता है तथा इसके प्रावधानों को लागू करने से मना कर दिया है।
वर्ष 1904 में ल्हासा (Lhasa) में ब्रिटेन और तिब्बत के बीच एक समझौते के पर हस्ताक्षर किए गए थे।
इस समझौते के अनुसार, तिब्बत 1890 की संधि को स्वीकार करने तथा संधि के अनुच्छेद (1) में परिभाषित सिक्किम और तिब्बत के बीच सीमा को मान्यता देने के लिए सहमत हो गया।
27 अप्रैल, 1906 को पेकिंग (Peking) में ब्रिटेन और चीन के बीच एक अन्य संधि पर हस्ताक्षर किए गए थे, जिसने ब्रिटेन तथा तिब्बत के मध्य हुई 1904 की संधि की पुष्टि की गयी।
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