प्रवासी मजदूरों पर लॉकडाउन उल्लंघन का मुकदमा नहीं: उच्चत्तम न्यायालय

प्रवासी मजदूरों पर लॉकडाउन उल्लंघन का मुकदमा नहीं: उच्चत्तम न्यायालय

संदर्भ: उच्चत्तम न्यायालय ने प्रवासी मजदूरों के पलायन का स्वतः संज्ञान लेने के पश्चात प्रवासी श्रमिकों संबंधी आदेश पारित किया।
BJP have to bear the brunt of migrant laborers crisis this fear ...

इस प्रकार के विषयों पर उच्च न्यायालयों की शक्ति:
उच्च न्यायालय, संवैधानिक न्यायालयों के रूप में, प्रवासी श्रमिकों के मूल अधिकारों के उल्लंघन होने पर स्वतः संज्ञान लेने तथा उपयुक्त कार्यवाही करने हेतु सक्षम है।
नयायालय का कथन 
न्यायालय के अनुसार, देशव्यापी लॉकडाउन के दौरान अपने घरों तक पहुचने के प्रयास करने पर प्रवासी श्रमिकों पर अभियोग नहीं चलाया जाना चाहिए।
जिन प्रवासी मजदूरों पर लॉकडाउन के दौरान सड़कों पर चलने तथा लॉकडाउन उल्लंघन करने पर ‘आपदा प्रबंधन अधिनियम की धारा 51 तथा अन्य संबंधित अपराधों के खिलाफ शिकायतें दर्ज की गयी है, राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों को, प्रवासी मजदूरों के खिलाफ इस प्रकार की सभी शिकायतों को वापस ले लेना चाहिए।
रेलवे को प्रवासी मजदूरों के परिवहन हेतु राज्यों को अगले 24 घंटों के भीतर 171 अतिरिक्त श्रमिक स्पेशल ट्रेनें उपलब्ध करानी चाहिए।
पृष्ठभूमि 
प्रवासी मजदूरी द्वारा जिन कठिनाइयों और दुखों का सामना करना पड़ रहा है, उससे समग्र समाज हिल गया है।
महामारी के दौरान भुखमरी, बेरोजगारी और बीमारी से बचने के लिए प्रवासी मजदूर, बड़े शहरों से अपने मूल गाँवों के लिए पैदल ही निकल पड़े थे।
परन्तु, इन मजदूरों को पुलिस द्वारा विभिन्न चौकियों पर रोक लिया जाता था, तथा उन्हें उनके राज्यों या गांवों में प्रवेश करने से रोक दिया जाता था। इस प्रक्रिया से मजदूरों को आश्रयहीन हो जाना पड़ा जिस कारण उनके दुखों में और वृद्धि हुई।
किसी प्रवासी श्रमिक को, अपने घर पहुचने के लिए पैदल यात्रा करने पर, क़ानून के उल्लंघन के दोषी पाए जाने पर कानून की धारा 51 के तहत, एक वर्ष का कारावास अथवा जुर्माना, अथवा दोनों का सामना करना पड़ सकता है।
आगे की राह 
देशव्यापी लॉकडाउन के कारण प्रवासी मजदूर, रोजगार के समाप्त हो जाने के कारण अपने अपने मूल स्थान पर लौटने के लिए विवश थे। ये लोग पहले से काफी पीड़ित हैं। पुलिस तथा अन्य अधिकारियों को इन श्रमिक लोगों से मानवीय तरीके से निपटना होगा।
अतः, इन श्रमिको के अपने घरों में पहुच जाने के पश्चात, संबंधित राज्यों द्वारा इनकी जरूरतों को पूरा करने की आवश्यकता है। राज्य इनके लिए रोजगार के स्रोत, भोजन का प्रावधान तथा राशन आदि की व्यवस्था करे।
उनके पुनर्वास और रोजगार के लिए तैयार की गई विभिन्न योजनाओं के बारे में सूचना देने हेतु परामर्श केंद्र स्थापित किए जाने चाहिए।
स्रोत: द हिंदू

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