Genetically modified Seeds (जीन संवर्द्धित (GM) बीज)

जीन संवर्द्धित (GM) बीज: विवाद तथा बुवाई आंदोलन

 जीन संवर्द्धित (GM): अर्थ, उदाहरण, भारत में स्वीकृत फसलें, महत्व तथा चिंताएँ।
संदर्भ: चालू खरीफ फसलों के सीजन में, किसान मक्का, सोयाबीन, सरसों बैगन और एचटी कॉटन आदि फसलों बुवाई के लिए गैर-प्रमाणित जीन संवर्द्धित (Genetically Modified-GM) बीजों का उपयोग करेंगे।
इसलिए, इस संबंध में, एक किसान संघ- शेतकरी संगठन – ने जीन संवर्द्धित (GM) बीजों के उपयोग के लिए नए सिरे से आंदोलन हेतु योजना की घोषणा की है।
Future Outlook for Australia Seed Market, SWOT Analysis in ...
आंदोलन का कारण
  • शेतकरी संगठन ने घोषणा की है कि इस वर्ष वे पूरे महाराष्ट्र में मक्का, एचटी बीटी कपास, सोयाबीन और बैगन जैसी अप्रमाणित जीएम फसलों की बड़े पैमाने पर बुआई करेंगे।
  • इस प्रकार की फसलें उगाने वाले किसान अपने खेतों में फसल की जीएम प्रकृति के विवरण का बोर्ड लगाएंगे।
  • यह कार्यक्रम खेतों में नवीनतम तकनीक की शुरुआत की आवश्यकता पर ध्यान आकर्षित करेगा।
जीन संवर्द्धित (Genetically Modified-GM) बीज क्या होते हैं?
जीएम फसल उन फसलों को कहा जाता है जिनके जीन को वैज्ञानिक तरीके से रूपांतरित किया जाता है। जेनेटिक इजीनियरिंग के ज़रिये किसी भी जीव या पौधे के जीन को अन्य पौधों में डालकर एक नई फसल प्रजाति विकसित की जाती है।
जेनेटिक इंजीनियरिंग का उद्देश्य वांछित प्रभाव प्राप्त करने के लिए बीजों में एक एलियन जीन की शुरुआत करके आनुवांशिक अवरोध को समाप्त करना है। एलियन जीन, पौधे, जीव अथवा मृदा के सूक्ष्म जीवाणु से भी हो सकते है।
उदाहरण
  1. बीटी कपास, भारत में अनुमति दी जाने वाली एकमात्र जीएम फसल में बेसिलस थुरिंगिनेसिस (Bacillus thuringiensis -BT), एक मृदा सूक्ष्मजीव के दो विदेशी जीन होते हैं, यह फसल को पिंक बोलवॉर्म (pink bollworm) कीट को नष्ट करने के लिए विषाक्त प्रोटीन विकसित करते है।
  2. एचटी बीटी कपास (Ht Bt cotton) को एक अन्य मृदा-जीव के जीन से संकरण तैयार किया जाता है, यह पौधे को सामान्य हर्बिसाइड ग्लाइफोसेट का प्रतिरोध करने की क्षमता प्रदान करता है।
  3. बीटी बैंगन में, जीन पौधे को फल और प्ररोह बेधक (shoot borer) से प्रतिरक्षा प्रदान करता है।
  4. DMH-11 सरसों में, जीन संवर्द्धन फसल में पार-परागण की अनुमति देता है।
भारत में जीन संवर्द्धित फसलों की वैधानिक कानूनी स्थिति
भारत में, जेनेटिक इंजीनियरिंग मूल्यांकन समिति (Genetic Engineering Appraisal Committee -GEAC) जीएम फसलों की वाणिज्यिक खेती की अनुमति देने के लिए शीर्ष निकाय है।
GEAC क्षेत्र परीक्षण प्रयोगों सहित पर्यावरण में आनुवंशिक रूप से संवर्द्धित किये गए जीवों और उत्पादों को जारी करने संबंधी प्रस्तावों की मंज़ूरी के लिये भी उत्तरदायी है।
जुर्माना: अप्रमाणित GM संस्करण का उपयोग करने पर पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1989 के अंतर्गत 5 साल की जेल तथा 1 लाख रुपये का जुर्माना लग सकता है।
किसान जीएम फसलों को क्यों महत्व दे रहे हैं?
कम लागत: किसानों द्वारा बीटी कपास के उगाने पर तथा ग्लाइफोसेट का उपयोग करने पर खरपतवार-नाशक की लागत काफी कम हो जाती है।
बीटी बैंगन के संबंध में भी कीटनाशक-लागत कम हो जाने से उत्पादन लागत में कमी हो जाती है।
चिंताएं
पर्यावरणविदों का तर्क है कि जीएम फसलों के लंबे समय तक चलने वाले प्रभाव का अध्ययन किया जाना बाकी है तथा अभी इन्हें व्यावसायिक रूप से अनुमति नही दी जानी चाहिए। इनका मानना है, कि जीन संवर्धन से फसलों में किये गए परिवर्तन लंबे समय में मनुष्यों के लिए हानिकारक हो सकते हैं।

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