Finance Commission grants and other transfers (वित्त आयोग अनुदान तथा अन्य अंतरण)

वित्त आयोग अनुदान तथा अन्य अंतरण

 वित्त आयोग- गठन, सिफारिशें, अनुदान तथा अनुदान हेतु आधार।
संदर्भ: वित्त मंत्रालय ने कोविद -19 महामारी के दौरान अपने संसाधनों में वृद्धि करने हेतु 14 राज्यों को राजस्व घाटा अनुदान (Revenue Deficit Grant) के रूप में 6,195 करोड़ रुपये की राशि जारी की है।
सरकार द्वारा, 11 मई 2020 को 14 राज्यों के लिए जारी की गयी दूसरी किस्त 15वें वित्त आयोग की सिफारिशों के अनुरूप है। इस राशि से राज्यों को कोरोना महामारी के दौरान अतिरिक्त संसाधन जुटाने में सहायता मिलेगी।
राज्यों के हिस्से का निर्धारण करते समय 15 वें वित्त आयोग द्वारा उपयोग किये गए मानदंड:
I5 वें वित्त आयोग ने केंद्र और राज्य के मध्य राजस्व बँटवारे हेतु छह प्रमुख मानदंडो का उपयोग किया है, तथा इसमें प्रत्येक को अलग-अलग भारांक दिए गए हैं। यह मानदंड निम्नलिखित है:
    finance commission: 15th Finance Commission to lay out roadmap ...
  1. आय विस्थापन अथवा आय दूरी को 45%,
  2. वर्ष 2011 की जनसंख्या को 15%,
  3. क्षेत्रफल को 15%,
  4. वन तथा पारिस्थितिकी को 10%,
  5. जनसांख्यिकीय प्रदर्शन को 5%, और
  6. कर प्रयासों के लिए 2.5%।
वित्त आयोग ने, वित्त वर्ष 2020-21 के लिए, राज्यों को कुल 8,55,176 करोड़ रुपये के हस्तांतरण की सिफारिश की है, जो कि विभाजन योग्य राजस्व का 41 प्रतिशत है। यह 14 वें वित्त आयोग द्वारा की गयी सिफारिशों से 1% कम है।
15वें वित्त आयोग द्वारा सिफारिश किये गए अन्य अनुदान
वित्त आयोग के विचारार्थ विषयों के अंतर्गत राज्यों को अंतरित की जाने वाली ‘अनुदान सहायता’ (Grants-In-Aid) के संदर्भ में सिफारिशें देना सम्मिलित होता है।
इनमें निम्नलिखित सहायता अनुदानों को सम्मिलित किया जाता है:
(i) राजस्व घाटा अनुदान, (ii) स्थानीय निकायों को अनुदान, और (iii) आपदा प्रबंधन अनुदान।
वित्त आयोग क्या है?
वित्त आयोग, संविधान के अनुच्छेद 280 के तहत गठित एक संवैधानिक निकाय है। केंद्र-राज्य के परस्पर वित्तीय संबंधों पर सुझाव देने के उद्देश्य से भारत के राष्ट्रपति द्वारा इसका गठन किया जाता है।
इसका मुख्य दायित्व संघ व राज्यों की वित्तीय स्थितियों का मूल्यांकन करना, उनके बीच करों के बटवारे की संस्तुति करना तथा राज्यों के बीच इन करों के वितरण हेतु सिद्धांतो का निर्धारण करना है।
वित्त आयोग के कर्तव्य तथा दायित्व
वित्त आयोग का कर्तव्य है कि वह राष्ट्रपति को निम्नलिखित विषयों के संदर्भ में अपने सुझाव दे:
  1. संघ एवं राज्यों के मध्य करों की शुद्ध प्राप्तियों को कैसे वितरित किया जाए एवं राज्यों के बीच ऐसे आगमों का आवंटन कैसे किया जाए;
  2. भारत की संचित निधि में से राज्यों के राजस्व में सहायता अनुदान को शासित करने वाले सिद्धांतों के बारे में;
  3. राज्य के वित्त आयोग द्वारा की गई सिफारिशों के आधार पर राज्य में पंचायतों तथा नगरपालिकाओं के संसाधनों की अनुपूर्ति के लिए किसी राज्य की संचित निधि के संवर्धन के लिए आवश्यक अध्युपायों के बारे में;
  4. सुदृढ़ वित्त के हित में राष्ट्रपति द्वारा आयोग को निर्दिष्ट किए गए किसी अन्य विषय के बारे में, राष्ट्रपति को सिफारिश करे ।
वित्त आयोग का गठन
वित्त आयोग (प्रकीर्ण उपबंध) अधिनियम,1951 तथा वित्त आयोग (वेतन एवं भत्ते) नियम, 1951 में निहित प्रावधानों के अनुसार, इसका अध्यक्ष ऐसा व्यक्ति होना चाहिये जो सार्वजनिक तथा लोक मामलों का जानकार हो। तथा, अन्य चार सदस्यों के लिए उन व्यक्तियों में से चुना जाता है, जो
  • उच्च न्यायालय का न्यायाधीश बनने की अर्हता प्राप्त हो;
  • सरकार के वित्त तथा खातों का विशेष ज्ञान रखते हो;
  • उन्हें प्रशासन व वित्तीय मामलों में व्यापक अनुभव हो;
  • अर्थशास्त्र का विशिष्ट ज्ञान रखते हो।

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