यूनिवर्सल बेसिक इनकम(Universal Basic Income) UBI
यूनिवर्सल बेसिक इनकम
संदर्भ: राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (National Human Rights Commission- NHRC) ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (United Nations Human Rights Council- UNHRC) को सूचित किया है, कि यूनिवर्सल बेसिक इनकम को लागू करने की सलाह केंद्र सरकार के “परीक्षाधीन तथा विचाराधीन” है।
वर्तमान में यूनिवर्सल बेसिक इनकम की आवश्यकता
कोविड-19 महामारी से निपटने के क्रम में विश्व भर में अनेक देशों की सरकारों ने लॉकडाउन (lockdown) तथा सामाजिक दूरी (social distancing) जैसे उपायों को लागू किया है।
हालांकि, इन उपायों से अर्थव्यवस्था के लगभग हर क्षेत्र को व्यापक क्षति पहुची है। यहाँ तक कि, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष द्वारा वर्तमान आर्थिक संकट को वर्ष 1929 की आर्थिक मंदी के बाद से सबसे खराब स्थिति बताया गया है।
भारत में लगभग 90% श्रमबल, बगैर न्यूनतम मजदूरी अथवा सामजिक सुरक्षा के अनौपचारिक क्षेत्र में काम करता है, जिससे सूक्ष्म-स्तर पर भारत में परिस्थितियां कहीं और की तुलना में अधिक बदतर हुई हैं।
अतः, यूनिवर्सल बेसिक इनकम (Universal Basic Income– UBI) के माध्यम से नियमित भुगतान अनौपचारिक क्षेत्र में लगे श्रमिकों की आजीविका को, कम से कम अर्थव्यवस्था के सामान्य होने तक, सुनिश्चित कर सकता है।
यूनिवर्सल बेसिक इनकम क्या है?
‘यूनिवर्सल बेसिक इनकम’ किसी देश अथवा किसी भौगोलिक क्षेत्र / राज्य के सभी नागरिकों को बिना शर्त आवधिक रूप से धनराशि प्रदान करने का कार्यक्रम है। इसके अंतर्गत नागरिकों की आय, सामजिक स्थिति, अथवा रोजगार-स्थिति पर विचार नहीं किया जाता है।
UBI की अवधारणा का उद्देश्य गरीबी को कम करना अथवा रोकना तथा नागरिकों में समानता की वृद्धि करना है। यूनिवर्सल बेसिक इनकम अवधारणा का मूल सिद्धांत है, कि सभी नागरिक, चाहे वे किसी परिस्थिति में पैदा हुए हों, एक जीने योग्य आय के हकदार होते हैं।
UBI के महत्वपूर्ण घटक
- सार्वभौमिकता (सभी नागरिक)
- बिना शर्त (कोई पूर्व शर्त नहीं)
- आवधिक (नियमित अंतराल पर आवधिक भुगतान)
- नकद हस्तांतरण (फ़ूड वाउचर अथवा सर्विस कूपन नहीं)
यूनिवर्सल बेसिक इनकम (UBI) के लाभ
- नागरिकों को सुरक्षित आय प्रदान करता है।
- समाज में गरीबी तथा आय असमानता में कमी होती है।
- निर्धन व्यक्तियों की क्रय शक्ति में वृद्धि होती है, जिससे अंततः सकल मांग बढ़ती है।
- लागू करने में आसान होती है क्योंकि इसमें लाभार्थी की पहचान करना सम्मिलित नहीं होता है।
- सरकारी धन के अपव्यय में कमी होती है, इसका कार्यान्वयन बहुत सरल होता है।
UBI अवधारणा के समर्थक
भारतीय आर्थिक सर्वेक्षण 2016-17 में यूनिवर्सल बेसिक इनकम (UBI) की अवधारणा का समर्थन किया गया है, सर्वेक्षण में UBI को निर्धनता कम करने हेतु जारी विभिन्न सामाजिक कल्याण योजनाओं के विकल्प के रूप बताया गया।
UBI कार्यक्रम के अन्य समर्थकों में अर्थशास्त्र नोबेल पुरस्कार विजेता पीटर डायमंड और क्रिस्टोफर पिसाराइड्स, प्रौद्योगिकी क्षेत्र के मार्क जुकरबर्ग और एलन मस्क (Elon Musk) सम्मिलित हैं।
भारत में यूनिवर्सल बेसिक इनकम लागू करने में चुनौतियां
किसी देश में UBI लागू करने हेतु उच्च लागत की आवश्यकता होती है। विकसित देशों के लिए UBI व्यय का वहन करना, विकासशील देशों की तुलना में आसान होता है।
भारत में ‘यूनिवर्सल बेसिक इनकम’ को लागू करने में होने वाले भारी व्यय को देखते हुए राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी, इस कार्यक्रम के कार्यान्वयन हेतु प्रमुख चुनौती है।
यूनिवर्सल बेसिक इनकम के लागू होने से इस बात की प्रबल संभावना है कि लोगों को बिना शर्त दी गई एक निश्चित आय उन्हें आलसी बना सकती है तथा इससे वे काम ना करने के लिये प्रेरित हो सकते हैं।
स्रोत: द हिंदू
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